21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दस साल बाद आयुष मंत्रालय के सर्वे में जो तथ्य सामने आए हैं, वे योग के सांस्कृतिक प्रभाव को दर्शाते हैं। 41% लोग किसी न किसी रूप में योग को अपने जीवन में शामिल कर चुके हैं — यह भारत की चेतना में योग के पुनर्प्रवेश का संकेत है।
लेकिन आंकड़ों की गहराई में जाएं तो यह भी सामने आता है कि अब भी 75% से अधिक लोग नियमित योग से दूर हैं। महिला प्रतिभागियों और ग्रामीण भारत की भागीदारी अभी भी सीमित है।
‘हरित योग’ जैसे अभियान जहां पर्यावरणीय संदेश के साथ योग को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं सवाल यह भी उठता है — क्या यह आंदोलन स्वास्थ्य के हाशिए पर रह रहे तबकों तक भी पहुँच रहा है?
योग के बहाने इस सर्वे ने भारत में जीवनशैली, स्वास्थ्य और मानसिक शांति को लेकर नई बहस को जन्म दिया है।