जबलपुर रेलवे स्टेशन पर एक दिल दहला देने वाला मंजर देखने को मिला, जब जनशताब्दी एक्सप्रेस से सफर कर रहे युवक की हार्ट अटैक से मौत हो गई और शव को प्लेटफॉर्म पर उतारने के बाद कोई मदद नहीं आई।
पूरे तीन घंटे तक शव वहीं धूप में पड़ा रहा — न कोई डॉक्टर, न कोई रेलवे अधिकारी, न एम्बुलेंस! यात्री चीखते रहे, वीडियो बनाते रहे, लेकिन सिस्टम सोता रहा।
अब सवाल ये है — अगर ट्रेन में किसी की जान जाए, तो क्या उसकी जिम्मेदारी सिर्फ किस्मत की है? या फिर रेलवे का भी कोई फर्ज़ होता है?
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