नई दिल्ली . भारत ने स्वदेशी रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट के 120 किलोमीटर मारक क्षमता वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया है। ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में किए गए इस परीक्षण को भारतीय सेना की मारक क्षमता में बड़े इजाफे के रूप में देखा जा रहा है। परीक्षण के दौरान रॉकेट ने अपने अधिकतम रेंज तक उड़ान भरते हुए निर्धारित लक्ष्य को पूरी सटीकता के साथ भेद दिया, जिससे रक्षा वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों में उत्साह का माहौल है।
इस परीक्षण की खास बात यह रही कि जिस दिन पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट परियोजना को रक्षा अधिग्रहण परिषद से भारतीय सेना के लिए मंजूरी मिली, उसी दिन इसका सफल उड़ान परीक्षण भी किया गया। इसे रक्षा क्षेत्र में नीति और तकनीक के बीच बेहतर तालमेल का प्रतीक माना जा रहा है। रक्षा सूत्रों के अनुसार यह पहला मौका था जब 120 किलोमीटर रेंज वाले पिनाका रॉकेट का पूर्ण दूरी तक परीक्षण किया गया और इसमें सभी इन-फ्लाइट मैनूवर्स योजनानुसार सफलतापूर्वक पूरे हुए।
परीक्षण के दौरान रॉकेट को सेवा में मौजूद पिनाका लॉन्चर से दागा गया, जिससे इसकी बहु-उपयोगी क्षमता भी साबित हुई। इसका मतलब यह है कि एक ही लॉन्चर से पिनाका के विभिन्न रेंज वाले संस्करणों को दागा जा सकता है, जो युद्ध के समय सेना को अधिक लचीलापन और तेज प्रतिक्रिया की क्षमता प्रदान करेगा। उड़ान के दौरान सभी रेंज उपकरणों ने रॉकेट की पूरी यात्रा पर नजर रखी और इसके प्रदर्शन को सटीक बताया गया।
पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट का डिजाइन और विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के तहत आने वाले आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट द्वारा किया गया है। इसमें हाई एनर्जी मटीरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी और रिसर्च सेंटर इमारत का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा। पूरे उड़ान परीक्षण का समन्वय इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज और प्रूफ एंड एक्सपेरिमेंटल एस्टेब्लिशमेंट द्वारा किया गया।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सफलता भारतीय सेना की तोपखाना शक्ति को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। आधुनिक युद्ध में लंबी दूरी से सटीक हमला करने की क्षमता बेहद अहम मानी जाती है और पिनाका प्रणाली इस जरूरत को पूरा करने में सक्षम साबित हो रही है। गाइडेड रॉकेट होने के कारण इसकी सटीकता पारंपरिक रॉकेट सिस्टम की तुलना में कहीं अधिक है, जिससे कोलैटरल डैमेज कम होता है और दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों को प्रभावी ढंग से निशाना बनाया जा सकता है।
इस उपलब्धि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि लंबी दूरी के गाइडेड रॉकेटों का सफल डिजाइन और विकास सशस्त्र बलों की क्षमताओं को और मजबूत करेगा। उन्होंने इसे भारतीय सेना के लिए ‘गेम-चेंजर’ बताया। वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी परीक्षण के दौरान मौजूद रहकर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम को मिशन उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाई दी।
पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम को डीआरडीओ की सबसे बड़ी स्वदेशी सफलता कहे जाने वाले रक्षा प्रोजेक्ट्स में गिना जाता है। यह प्रणाली अपनी त्वरित प्रतिक्रिया, उच्च मारक क्षमता और सटीकता के लिए जानी जाती है। समय के साथ इसके विभिन्न संस्करण विकसित किए गए हैं और अब 120 किलोमीटर रेंज वाला गाइडेड रॉकेट इसका सबसे उन्नत रूप माना जा रहा है। इससे पहले पिनाका के कम दूरी वाले संस्करण पहले ही सेना में शामिल होकर अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुके हैं।
रणनीतिक दृष्टि से भी पिनाका की सफलता बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सीमावर्ती क्षेत्रों में किसी भी संभावित संघर्ष की स्थिति में यह प्रणाली दुश्मन के भीतर गहराई तक स्थित ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम होगी। लंबी दूरी, सटीकता और तेज तैनाती की क्षमता इसे आधुनिक युद्ध परिदृश्य में बेहद उपयोगी बनाती है। रक्षा जानकारों के अनुसार इससे सेना की निर्भरता विदेशी हथियार प्रणालियों पर और कम होगी।
स्वदेशी हथियार प्रणालियों के क्षेत्र में पिनाका ने निर्यात के मोर्चे पर भी भारत की पहचान मजबूत की है। यह प्रणाली पहले ही आर्मेनिया को निर्यात की जा चुकी है और कई यूरोपीय देश, जिनमें फ्रांस भी शामिल है, इसमें रुचि दिखा रहे हैं। इससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूती मिलेगी।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जैसे-जैसे पिनाका के लंबी दूरी वाले संस्करण तैयार होते जाएंगे, सेना अन्य वैकल्पिक हथियार प्रणालियों की योजनाओं पर पुनर्विचार कर सकती है। इससे साफ है कि सेना का भरोसा इस स्वदेशी प्रणाली पर लगातार बढ़ रहा है।
120 किलोमीटर रेंज वाले पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। यह सफलता दिखाती है कि भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर जटिल रक्षा तकनीकों के विकास में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं। आने वाले समय में पिनाका प्रणाली भारतीय सेना की रणनीतिक ताकत का एक अहम स्तंभ बनकर उभरेगी।
