सार्वजनिक जीवन में शब्दों की मर्यादा और जवाबदेही की अनदेखी जब सत्ता से जुड़े लोग करते हैं, तो उसका असर केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहता। कर्नाटक के कलबुर्गी में बीजेपी नेता रवि कुमार द्वारा जिला कलेक्टर फौजिया तरन्नुम के संदर्भ में दिए गए “पाकिस्तान से आई हैं” जैसे शब्द, सिर्फ एक अधिकारी का अपमान नहीं, बल्कि सिविल सेवा जैसे पवित्र दायित्व की गरिमा को भी ठेस पहुंचाते हैं।
IAS संघ का कड़ा रुख और माफी की मांग, इस घटना की गंभीरता को दर्शाता है। फौजिया तरन्नुम जैसी अधिकारियों का ट्रैक रिकॉर्ड दर्शाता है कि वह न केवल निष्ठा से काम कर रही हैं बल्कि राज्य के प्रशासनिक ढांचे की एक मजबूत कड़ी हैं।
यह घटना बताती है कि राजनीतिक असहमति अब व्यक्तिगत हमलों में तब्दील हो रही है। लोकतंत्र में आलोचना जरूरी है, लेकिन उसकी सीमाएं तय हैं। जब शब्द ‘सत्ता’ से निकलते हैं तो उनका भार और जिम्मेदारी दोनों बढ़ जाते हैं।