"IAS नरहरि और मनीष सिंह की जोड़ी ने स्वच्छता को बना दिया नागरिक संस्कृति का हिस्सा"


इंदौर की आठवीं स्वच्छता जीत कोई संयोग नहीं — यह एक सुनियोजित, दूरदर्शी प्रशासनिक प्रयोग का परिणाम है, जहाँ कचरा गाड़ी से ‘हो हल्ला’ का प्रसारण कर लोगों को कर्तव्य का एहसास कराया गया।

तत्कालीन कमिश्नर मनीष सिंह ने जहाँ जोखिम लिया, वहीं IAS पी. नरहरि ने संस्कृति और प्रशासन का पुल बाँधा।

प्रशासनिक सफलता की परिभाषा तब बदलती है, जब लोग आदेश से नहीं, संगीत से प्रेरित होकर घरों से निकलकर डस्टबिन लेकर खड़े हो जाएं।

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