असम में अगले जनगणना तक मियाओं की आबादी 38 प्रतिशत होगी: मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा


 गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि अगले जनगणना परिणामों के समय राज्य में मिया-मुसलमानों की आबादी 38 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में आदिवासी और स्थानीय आबादी की सुरक्षा के लिए दो कानून लाने की योजना बना रही है। यह बयान उन्होंने दीब्रूगढ़ में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सांख्यिकीविदों द्वारा किसी प्रोजेक्शन का विश्लेषण किया जाए, तो यह स्पष्ट होगा कि मिया-मुसलमान असम में सबसे बड़ी समुदाय बन जाएंगे। उन्होंने कहा, “आप मेरे इस बयान को नोट कर सकते हैं। यह एक तथ्य है।” मिया शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से असम में बांग्ला भाषी मुसलमानों के लिए किया जाता है, जिनका मूल बांग्लादेश या पूर्वी पाकिस्तान में है। नागरिकता अधिनियम के तहत, जो लोग 25 मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से राज्य में आए, उन्हें विदेशी माना जाएगा।

2011 की जनगणना के अनुसार, असम में कुल आबादी में हिंदू 61.47 प्रतिशत और मुसलमान 34.22 प्रतिशत थे। यह आंकड़ा राज्य में सदियों से रहने वाले स्थानीय मुस्लिम समुदायों के साथ-साथ पिछले एक सदी में प्रवासित बांग्ला भाषी मुसलमानों को भी शामिल करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मिया-मुसलमानों की बढ़ती आबादी को देखते हुए और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार पिछले पांच वर्षों से कई कदम उठा रही है। आगामी विधानसभा सत्र में इसी समस्या से निपटने के लिए दो महत्वपूर्ण कानून पेश किए जाएंगे, जिनके विवरण अभी साझा नहीं किए गए हैं।

हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य ‘जाती, माटी, भेती’ (नस्ल, भूमि, मातृभूमि) की रक्षा करना है। उन्होंने पूर्व कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि कांग्रेस सत्ता में रहते हुए कदम उठाती, तो स्थानीय लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब एक युद्ध शुरू हो चुका है और इसे अपेक्षित लक्ष्य तक पहुंचाना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार द्वारा अवैध अतिक्रमणकर्ताओं, विशेषकर संदिग्ध बांग्लादेशियों के खिलाफ शुरू किए गए निष्कासन अभियान जारी रहेंगे।

उन्होंने कहा कि यदि यह दबाव बनाए रखा गया, तो स्थिति बेहतर होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले 10 वर्षों तक यह कार्रवाई जारी रहेगी ताकि स्थानीय आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार का प्रयास केवल अवैध अतिक्रमण को रोकने और स्थानीय संसाधनों की सुरक्षा करना है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि मिया-मुसलमानों की आबादी बढ़ने से उत्पन्न होने वाले संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने पिछले पांच वर्षों में कई उपाय किए हैं। इसमें सरकारी भूमि और वन क्षेत्र पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ अभियान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन कदमों का उद्देश्य असम की आदिवासी और स्थानीय आबादी को सुरक्षित रखना है।

साथ ही उन्होंने जोर दिया कि आने वाले विधानसभा सत्र में प्रस्तावित दो कानूनों के माध्यम से स्थानीय आबादी की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी और कई पहल की जाएंगी ताकि असम की मूल आबादी अपने अधिकारों और संसाधनों की रक्षा कर सके।

मुख्यमंत्री ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब असम में मियाओं के समुदाय को लेकर सामाजिक और राजनीतिक बहस तेज हो गई है। उन्होंने कहा कि यह कदम केवल स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे हैं और इसका कोई धार्मिक या जातीय उद्देश्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा लागू किए जा रहे उपाय निष्पक्ष हैं और केवल कानून और संविधान के अनुसार होंगे।

हिमंता बिस्वा शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि आगामी वर्षों में मिया-मुसलमानों की संख्या में वृद्धि को लेकर जो चिंताएं हैं, उनका समाधान केवल कानूनी और प्रशासनिक उपायों से किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य राज्य में सामाजिक संतुलन बनाए रखना और स्थानीय आबादी के अधिकारों की रक्षा करना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में असम सरकार की ओर से कई अन्य नीतिगत कदम भी उठाए जाएंगे ताकि स्थानीय आबादी को विकास और अवसरों में पिछड़ेपन से बचाया जा सके। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इन उपायों का उद्देश्य केवल स्थानीय संस्कृति, भूमि और सामाजिक संरचना की रक्षा करना है।

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मियाओं की बढ़ती आबादी को लेकर किए जा रहे सभी उपाय कानूनी और संविधानिक आधार पर होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी भी प्रकार की सामाजिक असंतुलन या तनाव को रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

मुख्यमंत्री ने यह बयान देते हुए कहा कि असम सरकार का यह प्रयास लंबे समय तक चलने वाला अभियान है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उठाए गए कदम सफल रहे हैं, लेकिन आगामी 10 वर्षों तक इस दिशा में काम जारी रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार मियाओं पर दबाव बनाए रखेगी और स्थानीय आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

हिमंता बिस्वा शर्मा ने यह भी कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में पेश किए जाने वाले कानूनों का उद्देश्य राज्य में स्थायी समाधान प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के माध्यम से स्थानीय आबादी के अधिकार, भूमि और संसाधनों की रक्षा सुनिश्चित होगी।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि असम सरकार का यह निर्णय केवल आबादी और संसाधनों के न्यायपूर्ण प्रबंधन के लिए है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की नीति किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य केवल राज्य की मूल आबादी की सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करना है।

इस प्रकार हिमंता बिस्वा शर्मा ने मिया-मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए स्थानीय आबादी की सुरक्षा के लिए आगामी कानूनों और उपायों की घोषणा की। उनके बयान ने असम में राजनीतिक और सामाजिक बहस को फिर से तेज कर दिया है, जबकि सरकार ने यह स्पष्ट किया कि सभी कदम संविधान और कानून के दायरे में ही उठाए जाएंगे।

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