जबलपुर. दमोह के चर्चित पैर धुलवाने प्रकरण में अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. अब यह मामला जल्द ही चीफ जस्टिस की बेंच में सूचीबद्ध किया जाएगा.
यह मामला दमोह जिले के ग्राम सतरिया में मंदिर के अंदर ओबीसी वर्ग के एक युवक से पैर धुलवाने की घटना से जुड़ा है. हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन की बेंच ने इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया था. बेंच ने पहले ही दमोह कलेक्टर और एसपी को आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. बाद में कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश पर पुनर्विचार करने से इनकार करते हुए आवेदन निरस्त कर दिया था.
जबकि इंटरविनर बनने के आवेदन को स्वीकार किया था. इसके साथ ही कोर्ट ने कलेक्टर और एसपी दमोह को एनएसए कार्रवाई से जुड़ी जानकारी हलफनामे के साथ प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे. दोनों अधिकारियों ने कोर्ट को बताया था कि हाईकोर्ट के निर्देश पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जा चुकी है. इस दौरान आरोपी अनुज उर्फ अन्नू पांडे की ओर से अधिवक्ता नमन नगरथ ने दलील दी कि पीडि़त व्यक्ति ने उनके मुवक्किल की फोटो को एआई तकनीक से एडिट कर जूते की माला पहनाई हुई तस्वीर वायरल की थी. उन्होंने कहा कि संज्ञान याचिका पंजीकृत होने से पहले ही आवेदक सहित अन्य लोगों पर एनएसए की कार्रवाई कर दी गईए जबकि कोर्ट वेबसाइट पर आदेश अपलोड भी नहीं हुआ था. यह बिना तथ्यों की जांच किए की गई कार्यवाही अनुचित है. दमोह में ओबीसी वर्ग के एक युवक के पैर धुलवाकर पानी पिलवाने के मामले को लेकर एमपी हाईकोर्ट ने स्वतरू संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने दमोह पुलिस और जिला प्रशासन को आरोपियों पर एनएसए की कार्रवाई करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि जातीय भेदभाव और मानवीय गरिमा का बड़ा उल्लंघन हुआ है.
