न्यायाधीशों के आवास पर हमले और चोरी की बढ़ती वारदातों पर हाईकोर्ट गंभीर, 2016 के पुराने मामले पर भी लिया संज्ञान

 


जबलपुर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में शुक्रवार को न्यायिक अधिकारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा से जुड़े एक बेहद गंभीर मामले पर सुनवाई हुई, जिसने एक बार फिर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और न्यायिक स्वतंत्रता की चुनौतियों को उजागर कर दिया. हाईकोर्ट ने अनूपपुर में जमानत याचिका निरस्त करने के बाद जज के सरकारी आवास पर हुए सीधे हमले और प्रदेश के अन्य जिलों में न्यायाधीशों के घरों में हुई चोरी की वारदातों पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से सख्त जवाब मांगा था.

युगलपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ शामिल थे, ने सरकार द्वारा पेश की गई विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पर विचार किया. यह रिपोर्ट न केवल हालिया अनूपपुर हमले से संबंधित थी, बल्कि इसमें अन्य जिलों में न्यायाधीशों के आवासों से हुई चोरी की घटनाओं में आरोपियों की गिरफ्तारी की स्थिति और संबंधित प्रकरणों की प्रगति को भी शामिल किया गया था. हाईकोर्ट ने इन घटनाओं पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया था कि ऐसी घटनाएं न केवल न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता और स्वतंत्रता पर भी सीधा आघात हैं.

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