24 साल पहले की थी लव-मैरिज, 13 साल से अलग रह रहे दम्पति का तलाक, कोर्ट ने कहा, भावनात्मक संबंध नहीं तो शादी औचित्यहीन


 जबलपुर. 13 साल से एक ही छत पर रहने के बावजूद भी पति-पत्नी में भावनात्मक संबंध पूरी तरह से खत्म हो गए थे. प्रेम और विश्वास की जगह केवल नफरत और क्रूरता बची थी. उस विवाह को खींचना दोनों पक्षों के साथ अन्याय है, यह कहते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के विवाह को शून्य घोषित करते निचली अदालत के आदेश को बदलते हुए तलाक की मंजूरी दे दी.

अनूपपुर में रहने वाले शैलेंद्र ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपील दायर करते हुए कहा कि श्वेता से उसकी लव मैरिज 2001 में हुई थी. शादी के कुछ सालों बाद ही पत्नी का व्यवहार बदल गया. 2011 से दोनों एक ही मकान में रह तो रहे हैंए लेकिन दोनों के बीच भावनात्मक संबंध पूरी तरह से खत्म हो गया है. श्वेता से तलाक लेने शैलेंद्र ने निचली अदालत में मुकदमा दाखिल किया. लेकिन उसे खारिज कर दिया. जिसमें 21 दिसंबर 2022 को खारिज होने पर यह अपील हाई कोर्ट में दाखिल की गई. जस्टिस विशाल धगट और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बेंच ने लव मैरिज करने के बाद भी अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी को तलाक की मंजूरी दे दी है.

कोर्ट ने कहा कि कानून को मानवीय पक्ष भी देखना चाहिएए एक विवाह जो पूरी तरह से मृत हो चुका हैए और एक दशक से दोनों के बीच वापसी की कोई संभावना भी नहीं बची है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे विवाह को कागजों पर जीवित रखना समाज और व्यक्ति दोनों के लिए घातक है. इसके साथ बेंच ने कोतमा की जिला अदालत के फैसले को पलटते हुए दोनों की शादी को 23 साल बाद कानूनी रूप से शून्य घोषित कर दिया है. रिकॉर्ड और गवाहों के बयान के आधार पर कोर्ट ने कहा कि विवाद की आग में दोनों पक्षों ने मर्यादा की सीमा लांघी थी. एक दूसरे पर अनैतिक संबंधों के आरोप भी लगाए. दोनों के बीच असंसदीय भाषा में बातें की जाती थी. एक घर में अलग.अलग मंजिलों पर रह रहे. दोनों के बीच आपसी विश्वास इस कदर खत्म हो चुका था कि अब वापसी का कोई रास्ता नहीं बचा था.

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