जबलपुर. एमपी के जबलपुर में डिजिटल अरेस्ट का एक और मामला सामने आया है. यहां पर विद्युत विभाग से रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी अविनाश चंद्र दीवान को ठगों ने एटीएस अधिकारी बनकर 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनसे 32 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए. 1 दिसंबर को टेरर फंडिंग के नाम पर आए कॉल से शुरू हुई यह ठगी तब सामने आई जब 5 दिसंबर की रात उनकी हालत देखकर बेटे ने दबाव बनाया और पूरी घटना का खुलासा हुआ.
बताया गया है कि अविनाश चंद्र घर पर थे तभी एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि एटीएस पुणे से बोल रहा हूं, आतंकियों की पूछताछ में उनका नाम आया है और उनके बैंक खाते तथा आधार नंबर का उपयोग टेरर फंडिंग में हुआ है. बुजुर्ग घबरा गए, जिसके बाद ठगों ने उन्हें झूठे दस्तावेज दिखाकर भयभीत करना शुरू किया. कॉलर ने धमकाते हुए कहा कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें और उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया जाएगा, साथ ही पूरी संपत्ति सीज हो सकती है. इसके बाद रोजाना 10 घंटे तक वीडियो कॉल पर निगरानी रखते हुए उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर दिया गया. सुबह 9 बजे से रात 7 बजे तक ठग पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल में मौजूद रहते और बुजुर्ग की हर गतिविधि पर नजर रखते. ठगों ने बैंक जाते समय भी वीडियो कॉल चालू रखने को कहा ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि बुजुर्ग किसी से बात न करें.
दबाव बनाकर उनसे जायदाद की जानकारी ली गई और कहा गया कि सच न बताने पर 18 साल जेल और भारी जुर्माना लगेगा. ठगों ने उन्हें बैंक जाकर फॉर्म भरने को कहा, फिर अपने खातों के नंबर भेजे. तीन दिनों में 10 लाख, 8 लाख और 7 लाख की तीन किश्तों में कुल 32 लाख रुपये जमा करा लिए. बुजुर्ग को यह भी कहा गया कि पैसा अस्थायी रूप से रखा जा रहा है और 6 दिन में वापस मिल जाएगा.
भरोसा दिलाने के लिए फर्जी मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस केदस्तावेज भी भेजे गए. घटना तब उजागर हुई जब बुजुर्ग तनाव में दिखे. बेटे ने पूछताछ की, तब सच्चाई सामने आई. अगले दिन जब वह साइबर ऑफिस में शिकायत दर्ज करा रहे थे, तभी ठगों ने पुलिस के सामने कॉल कर कहा, हां, हमने पैसा लिया है. अब आप कुछ नहीं कर सकते. बस अपने पिता का ध्यान रखना, पैसे वापस नहीं मिलेंगे. मदनमहल थाना पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. एएसपी जितेंद्र सिंह ने कहा कि साइबर ठग बुजुर्गों को डराकर डिजिटल अरेस्ट में ले लेते हैं. उन्होंने अपील की,कोई भी व्यक्ति पुलिस अधिकारी बताकर कॉल करे तो तुरंत स्थानीय थाने में इसकी जानकारी दें.
