मतदाता सूची के गहन पुनर्निरीक्षण को लेकर विपक्ष सशंकित है — खासकर तब जब यह प्रक्रिया 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुई है।
डेरेक ओ'ब्रायन ने स्पष्ट तौर पर कहा — “यह सिर्फ डेटा सफाई नहीं, डेटा की तानाशाही है।”विपक्षी गठबंधन इंडी अब इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाने जा रहा है।
एनआरसी का डर, असम की याद और बिहार से अचानक उठती ‘जांच’ की लहर — लोकतंत्र में यह सब किस दिशा में ले जा रहा है?
क्या देश पहचान के संकट में खड़ा है?
Tags
national
