तिराह घाटी में हालिया विस्फोट जिसमें एक TTP कमांडर की मौत हो गई, यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक नीति की असफलताओं की गवाही है। यासीन उर्फ अब्दुल्ला, जो 24 मई को औपचारिक रूप से TTP में शामिल हुआ था, तिराह में संगठन के अभियानों का नेतृत्व कर रहा था।
इस क्षेत्र में सेना और आतंकी गुटों के बीच जारी संघर्ष पाकिस्तान की सीमावर्ती नीति और अफगानिस्तान के साथ अस्थिर संबंधों का सीधा परिणाम है। क्वाडकॉप्टर और बम जैसे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल अब टीटीपी के रणनीतिक विस्तार का संकेत है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर ऐसे संसाधन आतंकी गुटों तक पहुँच कैसे रहे हैं?
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