"भाषण की सीमा और सियासी शिष्टाचार: विधायक मेश्राम की चुनौती बढ़ी"

राजनीति में आरोप अब मंच से कोर्ट तक


राजनीतिक विमर्श अब जनसभाओं से अदालतों की दीवारों तक पहुंच गया है। भाजपा विधायक राजेंद्र मेश्राम के खिलाफ दर्ज यह मानहानि का मुकदमा
केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि वर्तमान राजनीति की भाषा और मर्यादा पर प्रश्नचिह्न है।
सिंगरौली के देवसर से विधायक मेश्राम का इतिहास आरोपों से अछूता नहीं रहा। लेकिन इस बार मामला निजी नहीं, सार्वजनिक मंच से सीधे ‘चोर’ और ‘420’ कहने का है।
देवेंद्र पाठक की पहल ने यह जता दिया कि आम जनता अब आरोप सुनकर चुप नहीं बैठती।
यह केस आने वाले चुनावों से पहले भाजपा के लिए भी असहज सवाल खड़ा कर सकता है—क्या नेतृत्व के स्तर पर संयम और जवाबदेही पर फिर से मंथन जरूरी है?

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