ट्रंप ने मोदी को बताया महान मित्र, अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत सर्जियो गोर की प्रधानमंत्री से मुलाकात


 नई दिल्ली. भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी के नए अध्याय की शुरुआत के संकेत शनिवार को उस समय मिले जब अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत सर्जियो गोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और खनिज संसाधनों से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. सर्जियो गोर ने मुलाकात के बाद कहा कि अमेरिका-भारत संबंध आने वाले महीनों में और मजबूत होंगे तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी को अपना "महान और व्यक्तिगत मित्र" मानते हैं.

गोर का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में कुछ व्यापारिक मतभेदों को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है. राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाए हैं, जिनमें रूस से कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त कर भी शामिल है. इन परिस्थितियों में यह मुलाकात दोनों देशों के लिए सकारात्मक संकेत मानी जा रही है.

मुलाकात के बाद सर्जियो गोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी से अद्भुत मुलाकात हुई. हमने रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी सहित कई द्विपक्षीय विषयों पर चर्चा की. साथ ही महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर भी बात हुई. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में वाशिंगटन और नई दिल्ली के संबंध और मजबूत होंगे.”

प्रधानमंत्री मोदी ने भी गोर की नियुक्ति पर उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनके कार्यकाल में भारत-अमेरिका के बीच "व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी" नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी. उन्होंने एक्स पर लिखा, “अमेरिका के नव-नियुक्त राजदूत सर्जियो गोर से मुलाकात कर खुशी हुई. मुझे भरोसा है कि उनके कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंध और मजबूत होंगे.”

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से पहले गोर ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश सचिव विक्रम मिस्री से भी बातचीत की. जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध आज वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा, “अमेरिका के राजदूत-नामित सर्जियो गोर से नई दिल्ली में मुलाकात की. भारत-अमेरिका संबंधों और उनकी वैश्विक प्रासंगिकता पर चर्चा हुई. उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं देता हूं.”

गोर हाल ही में अमेरिकी सीनेट से अपनी नियुक्ति की पुष्टि के बाद छह दिन की भारत यात्रा पर आए हैं. वे राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी माने जाते हैं और अमेरिकी राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में उनकी छवि भारत के प्रति सकारात्मक रुख रखने वाले व्यक्ति की रही है.

भारत-अमेरिका संबंधों में हाल के महीनों में व्यापारिक तनाव के बावजूद संवाद की रफ्तार बनी हुई है. इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच तीन सप्ताह में दूसरी बार फोन पर बातचीत हुई थी. इस बातचीत में मोदी ने गाजा में अमेरिका द्वारा मध्यस्थता की गई शांति योजना के पहले चरण की “सफलता” पर ट्रंप को बधाई दी. उन्होंने कहा, “अपने मित्र राष्ट्रपति ट्रंप से बात की और ऐतिहासिक गाजा शांति योजना की सफलता पर उन्हें बधाई दी. साथ ही व्यापार वार्ताओं में हुई प्रगति की समीक्षा की. आने वाले हफ्तों में निकट संपर्क बनाए रखने पर सहमति बनी.”

प्रधानमंत्री मोदी ने इसी दौरान इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी फोन पर बातचीत की. उन्होंने गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने और बंधकों की रिहाई के समझौते का स्वागत किया. मोदी ने कहा, “हम आतंकवाद को किसी भी रूप में और किसी भी जगह पर स्वीकार नहीं करते. यह पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है कि शांति और स्थिरता बनाए रखी जाए.”

गोर की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका की विदेश नीति कई मोर्चों पर पुनर्गठन के दौर से गुजर रही है — खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती भूमिका को देखते हुए भारत का महत्व अमेरिका के लिए और बढ़ गया है. भारत और अमेरिका रक्षा उत्पादन, अर्धचालक प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान, तथा दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में नए समझौतों की दिशा में काम कर रहे हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि सर्जियो गोर का राजनयिक कार्यकाल दोनों देशों के बीच “व्यवहारिक साझेदारी” को मजबूत करेगा. विदेश नीति विशेषज्ञ प्रो. अरविंद गुप्ता के अनुसार, “गोर की नियुक्ति ऐसे व्यक्ति के रूप में हुई है जो राष्ट्रपति ट्रंप और भारत दोनों पर समान भरोसा रखते हैं. वे कारोबारी दृष्टि से व्यावहारिक हैं और भारत के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक तालमेल पर जोर देते हैं.”

दूसरी ओर, कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि ट्रंप प्रशासन के कठोर व्यापारिक कदम भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रहेंगे. हालांकि सर्जियो गोर के भारत के प्रति रवैये को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि बातचीत और कूटनीति के जरिये कई विवादित मुद्दों का समाधान निकाला जा सकता है.

नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच रक्षा सहयोग लगातार गहरा होता जा रहा है. दोनों देशों के बीच हाल ही में “इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क” के तहत रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को नई दिशा दी गई है. इसके साथ ही, उन्नत प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी बातचीत चल रही है.

गोर ने अपनी भारत यात्रा के दौरान यह भी कहा कि अमेरिका भारत को न केवल एक रणनीतिक सहयोगी के रूप में बल्कि वैश्विक लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में देखता है. उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका के साझा मूल्य लोकतंत्र, स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर आधारित हैं. इन मूल्यों पर आगे बढ़ते हुए दोनों देश 21वीं सदी के वैश्विक नेतृत्व की दिशा तय कर सकते हैं.”

प्रधानमंत्री मोदी और सर्जियो गोर की यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद भारत-अमेरिका संबंध स्थिर और भरोसेमंद बने हुए हैं. रक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में साझेदारी दोनों देशों की प्राथमिकता है, जबकि व्यापारिक मतभेदों को संवाद और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की दिशा में प्रयास जारी हैं.

कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि आने वाले महीनों में अमेरिका और भारत के बीच उच्च स्तरीय वार्ताएं हो सकती हैं, जिनमें व्यापारिक करों, ऊर्जा आपूर्ति, और खनिज सहयोग जैसे विषय प्रमुख रहेंगे.

सर्जियो गोर की यह यात्रा न केवल अमेरिका की नई कूटनीतिक सोच को दर्शाती है, बल्कि भारत के लिए भी यह अवसर है कि वह वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत करे. दोनों देशों के नेताओं के बीच जिस आत्मीयता और विश्वास की झलक इस मुलाकात में दिखी, वह संकेत है कि आने वाले वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा और गति दोनों ही सकारात्मक रहेंगी.

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