जबलपुर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दो राष्ट्रीय वन्यप्राणी बाघ के अवैध शिकार और उनके अंगों की तस्करी करने वाले आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं. आरोपियों को मध्य प्रदेश स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने फरवरी-मार्च 2025 में गिरफ्तार किया था. दोनों आरोपी मिजोरम और मेघालय के रहने वाले हैं और अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के सदस्य बताए जा रहे हैं. यह गिरोह बाघों के दांत, नाखून, खाल और हड्डियों को विदेश में बेचकर मोटी रकम कमाता था.
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में 2015-16 से सक्रिय यह गिरोह बाघों का शिकार कर उनके अवशेष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेचता रहा. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र वन विभागों ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए लगभग 10 अपराधियों को अब तक गिरफ्तार किया है. मेजोरम के आइजोल निवासी जामखानकाप और मेघालय के शिलांग निवासी लालनेसंग हमार को मध्य प्रदेश स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने महाराष्ट्र फॉरेस्ट टीम के सहयोग से 28 फरवरी और 10 मार्च 2025 को उनके गृह ग्राम से गिरफ्तार किया था. निचली अदालत ने दोनों की जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी थीं. जांच में सामने आया कि यह गिरोह बाघों का शिकार कर उनके अवशेषों को नॉर्थ ईस्ट और म्यांमार के रास्ते चीन भेजता था.
चीन में खरीदार हड्डी और खाल की कीमत तय करते थे. यह अवशेष चाइनीज मेडिसिन बनाने में इस्तेमाल किए जाते थे. लालनेसंग ने खुद को भारतीय सेना का पूर्व कर्मचारी बताया था. पिछले सात सालों में दोनों आरोपियों और उनकी टीम ने मिलकर 50 से अधिक बाघों का शिकार कर अवशेष बेचकर मोटी रकम कमाई. इस गैंग की गतिविधियां मध्य प्रदेश के बालाघाट और नर्मदापुरम के कोर एरिया में सक्रिय थीं. इसके अलावा महाराष्ट्र के चंद्रपुर में भी स्थानीय लोगों के सहयोग से उन्होंने लगभग 40दृ50 बाघों का शिकार किया. न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की एकल पीठ ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं. शासकीय अधिवक्ता ऋत्विक पाराशर ने जमानत का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में पक्ष रखा.
