“गड्ढा था, है और रहेगा: मंत्रीजी की फिलॉसफी!”

 


भोपाल के बीचोबीच 10 फीट का गड्ढा पड़ा है। वाहन उसमें समा रहे हैं और नेता बयान में।

मंत्रीजी ने कहा, "जहां सड़क होगी, वहां गड्ढा भी होगा" — वाह! ये तो वैसा ही है जैसे कहें “जहां सरकार होगी, वहां कमीशन भी होगा।”
जीतू पटवारी ने इसे “50 प्रतिशत कमीशन का गड्ढा” कहा है। बिल्कुल सही! गड्ढा खुदा नहीं, खुदवाया गया है।
यह गड्ढा ‘घटिया सामग्री’ का नहीं, 'घटिया नीयत' का नतीजा है। मंत्रीजी को जल समाधि की सलाह देना भले अतिशयोक्ति लगे, लेकिन जनता तो सचमुच रोज़ मरती है — कभी झटकों में, कभी भ्रष्टाचार में।

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