भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने कहा है कि पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में मिली 0-3 की करारी हार आज भी उन्हें परेशान करती है, और वे नहीं चाहते कि टीम उस हार को कभी भूल जाए. गंभीर का मानना है कि उस हार की याद खिलाड़ियों को लगातार बेहतर करने की प्रेरणा देगी.
भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ यह हार अपने घरेलू मैदान पर 12 साल बाद झेलनी पड़ी थी — एक ऐसी सीरीज़ जिसने टीम इंडिया की विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में लगातार तीसरी बार जगह बनाने की उम्मीदों को भी झटका दिया.
गंभीर ने एक इंटरव्यू में कहा, “अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो अपने कोचिंग कार्यकाल में मैं इस हार को कभी नहीं भूल सकता, और मुझे इसे भूलना भी नहीं चाहिए. मैंने खिलाड़ियों से भी यही कहा है कि आगे देखना ज़रूरी है, लेकिन कभी-कभी पीछे देखकर सीख लेना और याद रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है.”
उन्होंने कहा कि भारत की टीम और प्रशंसकों को उस समय पूरा विश्वास था कि घरेलू परिस्थितियों में न्यूजीलैंड को हराना आसान होगा. “हर कोई मानकर चल रहा था कि हम न्यूजीलैंड को आसानी से हरा देंगे. लेकिन उस ड्रेसिंग रूम में हमने महसूस किया कि क्रिकेट में कोई भी विपक्षी टीम हल्के में लेने लायक नहीं होती. हमें खुद को बार-बार यह याद दिलाना होगा कि ‘न्यूजीलैंड हुआ था’,” गंभीर ने जियोहॉटस्टार से बातचीत में कहा.
उस सीरीज़ के बाद भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भी गई, जहां प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा. यह वही समय था जब टीम के तीन दिग्गज खिलाड़ी — रोहित शर्मा, विराट कोहली और आर. अश्विन — ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा.
गंभीर ने कहा कि यह दौर भारतीय क्रिकेट के लिए एक सीख थी, और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह याद दिलाने लायक है कि आत्मसंतुष्टि कभी भी टीम को नीचे गिरा सकती है. उन्होंने कहा, “हमने एक ऐसी सीरीज़ गंवाई, जो हमारे नियंत्रण में थी. अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस गलती को दोहराएं नहीं. जीत को उतना याद न रखें जितना हार को, क्योंकि वही सुधार की सबसे बड़ी प्रेरणा होती है.”
टीम इंडिया अब नए खिलाड़ियों और नई सोच के साथ अगले चक्र की तैयारी कर रही है, लेकिन गंभीर की बातों से यह साफ है कि उनकी नज़र सिर्फ भविष्य पर नहीं, बल्कि अतीत से मिले सबक पर भी है — ताकि अगली बार किसी भी टीम को हल्के में लेने की भूल न दोहराई जाए.
