केेंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की सिविल इंजीनियरों को नसीहत, कहा- सब चल जाता है वाली सोच छोड़ें


 नई दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार 10 अक्टूबर को सिविल इंजीनियरों से कहा कि वे चल जाता है, जैसी मानसिकता छोड़कर गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करें, क्योंकि यह उनके पेशेवर नैतिकता से जुड़ा है. उन्होंने ये बात इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा आयोजित फोरेंसिक सिविल इंजीनियरिंग पर ऑल-इंडिया सेमिनार के उद्घाटन समारोह में कही.

नितिन गडकरी ने सड़क और भवन निर्माण में प्री-कास्टिंग अपनाने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि अगर डिजाइन पैटर्न सही ढंग से तैयार हो जाए, तो निर्माण लागत कम होगी और गुणवत्ता में सुधार होगा.

एजेंसी के मुताबिक नितिन गडकरी ने कहा कि सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काफी विकास हो रहा है. इंजीनियरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका कोई भी काम सब-स्टैंडर्ड न हो. उत्पादन लागत कम करने और निर्माण गुणवत्ता बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने सरकारी निर्माण कार्यों से जुड़े इंजीनियरों से आग्रह किया कि वे 'चल जाता हैÓ वाली सोच छोड़ दें.

पुलों के गिरने जैसी घटनाओं पर चिंता जताते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि इस दिशा में शोध की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके. उन्होंने बिहार में हुई पुल दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी ऑडिटिंग की जानी चाहिए और जो लोग जानबूझकर गलतियां करते हैं, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए.

गडकरी ने कहा कि सरकारी संस्थाओं और निजी ठेकेदारों द्वारा विश्व स्तर के सफल सिस्टम को अपनाना जरूरी है. सिविल इंजीनियरिंग के विकास में परिपूर्णता की दिशा में कदम बढ़ाना महत्वपूर्ण है. गुणवत्ता और नई तकनीकों पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.  प्री-कास्टिंग के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जब डिजाइन पैटर्न तैयार हो जाएगा, तो निर्माण की लागत घटेगी और गुणवत्ता बेहतर होगी. और लगातार हो रहे हादसे भी नहीं होंगे.

इनोवेशन के उदाहरण देते हुए गडकरी ने कहा कि कई जगहों पर रेत की कमी को पत्थर कोल्हू द्वारा हल किया जा रहा है. उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का भी जिक्र किया, जिन्होंने गडकरी की सलाह पर राज्य की नदियों और जल मार्गों से सामग्री निकालकर सड़क निर्माण में इस्तेमाल करने की अनुमति दी. इसके पर्यावरणीय लाभ भी हैं. उन्होंने अमृत सरोवर मिशन का उदाहरण भी दिया, जिसके तहत महाराष्ट्र में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 1000 से अधिक जलाशयों को पुनर्जीवित किया.

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