जबलपुर में होगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सबसे बड़ी बैठक, महाकौशल बनेगा देश की राजनीति और भविष्य की दिशा का केंद्र

 


जबलपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस ने घोषणा की है कि संगठन की सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली संस्था अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक इस वर्ष 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक जबलपुर में आयोजित की जाएगी. यह तीन दिवसीय बैठक न केवल संघ के आंतरिक एजेंडे के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य की दिशा तय करने के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस बैठक में स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और संघ के सभी प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे. इस घोषणा के साथ ही संस्कारधानी जबलपुर अचानक राष्ट्रीय राजनीति और वैचारिक विमर्श का केंद्र बन गया है, जिसकी गूंज सोशल मीडिया पर भी #RSSInJabalpur और #संघ_की_बैठक जैसे हैशटैग के साथ तेजी से ट्रेंड कर रही है.

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (ABKM) संघ की वह सर्वोच्च संस्था है जो पूरे वर्ष के लिए संगठन की कार्ययोजना, राष्ट्रव्यापी एजेंडा और महत्वपूर्ण संकल्पों पर मुहर लगाती है. यह बैठक आमतौर पर साल में दो बार आयोजित की जाती है, जिसमें से एक महत्वपूर्ण बैठक अब जबलपुर में होने जा रही है. संघ के सूत्रों ने संकेत दिया है कि इस बैठक में आगामी चुनौतियों और अवसरों पर गहन मंथन किया जाएगा. खासकर, अगले वर्ष होने वाले महत्वपूर्ण राज्य विधानसभा चुनावों और देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर संघ की भूमिका को लेकर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है. मध्य प्रदेश, जहां यह बैठक आयोजित हो रही है, वह भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक राज्य है और यहां की राजनीति पर भी संघ के विचारों और दिशा-निर्देशों का गहरा प्रभाव पड़ता है.

जबलपुर को इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए चुने जाने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं. पहला, महाकौशल प्रांत संघ की दृष्टि से एक मजबूत और संगठनात्मक रूप से सक्रिय क्षेत्र रहा है. दूसरा, जबलपुर की पहचान 'संस्कारधानी' के रूप में है जो संघ की वैचारिक नींव के अनुरूप है. तीसरा, यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश में सामाजिक समरसता, धर्मांतरण, जनसंख्या नियंत्रण जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर बहस तेज है. उम्मीद है कि इन तीन दिनों में संघ इन सभी विषयों पर अपनी स्पष्ट और आधिकारिक राय सामने रखेगा. माना जा रहा है कि बैठक के दौरान संघ अपने शताब्दी वर्ष की तैयारियों की प्रगति की समीक्षा भी करेगा, जिसके लिए संगठन ने देश भर में कई बड़े विस्तार कार्यक्रम शुरू किए हैं.

कार्यकारी मंडल की इस बैठक में तीन मुख्य विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है. पहला, समाज में सेवा और समरसता के कार्यों का विस्तार. संघ हमेशा से समाज के अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच बनाने पर जोर देता रहा है. बैठक में इस बात पर विचार होगा कि विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच खाई को कैसे कम किया जाए और संघ के स्वयंसेवकों को समाज सेवा के नए आयामों में कैसे सक्रिय किया जाए. दूसरा महत्वपूर्ण विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपराओं को मुख्यधारा में लाने पर होगा. संघ का मानना है कि शिक्षा में भारतीयता का समावेश आवश्यक है, और इस दिशा में आगे की रणनीति पर चर्चा की जा सकती है. तीसरा, वर्तमान राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य पर संघ की दृष्टि. हालांकि संघ सीधे राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन राष्ट्र हित के मुद्दों पर उसकी राय हमेशा मायने रखती है. देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमावर्ती राज्यों की स्थिति और आर्थिक विकास की चुनौतियों पर संघ प्रमुख और अन्य नेता विस्तृत विचार रखेंगे.

इस बैठक की मेजबानी महाकौशल प्रांत कर रहा है, जिसके चलते स्थानीय संगठन ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. बैठक की सुरक्षा व्यवस्था और आवास प्रबंधन के लिए स्वयंसेवकों की कई टीमें बनाई गई हैं. चूंकि संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ देश के लगभग सभी शीर्ष वैचारिक और संगठनात्मक चेहरे जबलपुर में मौजूद रहेंगे, इसलिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष सतर्कता बरत रहा है. शहर के गणमान्य नागरिकों, बुद्धिजीवियों और स्थानीय संघ पदाधिकारियों में इस आयोजन को लेकर खासा उत्साह है. उनका मानना है कि इस आयोजन से जबलपुर को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी.

सोशल मीडिया पर आम लोग भी इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जहां एक वर्ग इसे जबलपुर के लिए गौरव का क्षण बता रहा है, वहीं राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी चुनावी तैयारियों से जोड़कर देख रहे हैं. कई यूजर्स यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि संघ इस बार राम मंदिर निर्माण के बाद देश में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे को किस तरह से आगे बढ़ाएगा. ट्विटर और फेसबुक पर चर्चा गर्म है कि क्या संघ इस बैठक से कोई ऐसा बड़ा संदेश देगा जिसका सीधा असर देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा की नीतियों पर पड़े. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बैठक के निष्कर्ष और संघ प्रमुख के वक्तव्य आगामी चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति को परोक्ष रूप से दिशा देंगे. इस तरह, 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक जबलपुर की धरती पर जो मंथन होगा, उसकी महक पूरे देश की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने में महसूस की जाएगी

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