सांस्कृतिक टकराव पर आधारित – 'चेहरा ढकने से रोका गया, पहचान की जंग शुरू?'

 क्या आधुनिक राष्ट्र-राज्य की संप्रभुता और एक स्त्री की धार्मिक पहचान टकरा सकती हैं? कजाकिस्तान में यह सवाल अब नए कानून के बाद और तीखा हो गया है। सोमवार को राष्ट्रपति टोकायेव द्वारा हस्ताक्षरित कानून के अनुसार अब सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने वाले वस्त्रों की अनुमति नहीं होगी।

हालांकि सरकार ने सीधे 'नकाब' या 'बुर्का' जैसे शब्दों का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य इस्लामी पहनावे को नियंत्रित करना है। यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब देश कट्टरपंथी प्रभावों को लेकर चिंतित है।

इस नए कानून के तहत केवल विशेष परिस्थितियों में जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा या सांस्कृतिक गतिविधियों के समय ही चेहरा ढकने की अनुमति होगी।

यह कानून न केवल एक कानूनी परिवर्तन है, बल्कि यह सामाजिक विमर्श की दिशा भी बदलने वाला है — क्या धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति पर राष्ट्र की पहचान भारी पड़ेगी?


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