राजनीति में जनप्रतिनिधियों का व्यवहार जनसंवेदना का आइना होता है, लेकिन मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में जो हुआ, वह मर्यादा और आंदोलन के बीच की रेखा को धुंधला कर गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक नाना पटोले, जो स्वयं कभी इसी सदन के अध्यक्ष रहे हैं, आक्रोश की लहर में इतना बह गए कि प्रश्नकाल के ठीक बाद सीधे स्पीकर के पोडियम पर चढ़ गए। उन्होंने भाजपा नेताओं बबनराव लोनिकर और माणिकराव कोकाटे पर किसानों को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए कार्यवाही रोक दी।
पटोले बोले – “किसानों के खिलाफ बोले गए हर शब्द का जवाब देंगे, चाहे इसके लिए रोज़ निलंबन झेलना पड़े।” उनके इस रवैये से सदन की कार्यवाही बाधित हुई और पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस पर गहरा ऐतराज़ जताते हुए कहा कि पूर्व स्पीकर का ऐसा व्यवहार स्वीकार्य नहीं। उन्होंने माफी मांगने की बात कही, पर पटोले पीछे हटने को तैयार नहीं हुए।
इस बीच कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वे किसानों के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे। विजय वडेट्टीवार ने कहा, “हम किसानों की आवाज़ बने रहेंगे, चाहे सरकार कुछ भी करे।”
विधानसभा में यह निलंबन केवल एक दिन का है, लेकिन जिस तर्ज पर दोनों पक्षों ने अपनी स्थिति रखी, वह महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे विमर्श का विषय बन चुका है।
