हादसे के चंद घंटे बाद क्षेत्रीय विधायक के पुत्र अखिलेश यादव और पूर्व विधायक राजू यादव पीड़ित परिजनों से मिलने पहुंचे। गले मिले, आंसू बहाए, और ‘हर संभव मदद’ का आश्वासन देकर चले गए। सवाल ये है: क्या ऐसे दर्द के सामने सिर्फ सांत्वना ही पर्याप्त है?
प्रशासनिक मशीनरी का भारी-भरकम काफिला भी पहुंचा — सीएमओ, तहसीलदार, डीएसपी — सबने ‘हालात का जायजा’ लिया। लेकिन न तो कोई मुआवजा राशि घोषित हुई, न ही यह पूछा गया कि आखिर एंबुलेंस क्यों नहीं पहुंची समय पर?
जब भी इस तरह की दुर्घटनाएं होती हैं, नेता शोक जताते हैं, मीडिया संवेदना दिखाता है, फिर सब भूल जाते हैं। लेकिन जिन परिवारों ने 8 अर्थियाँ उठाई हैं, वे यह सब कभी नहीं भूल पाएंगे।
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