नाल्ड ट्रंप ने भारत को 9 जुलाई तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का अल्टीमेटम दिया है। लेकिन क्या भारत अमेरिकी दबाव में आएगा? पीयूष गोयल की ओर से 'राष्ट्रीय हित' की दुहाई दी जा रही है, वहीं कांग्रेस इस तर्क को खोखला बता रही है।
ट्रंप की "डेडलाइन डिप्लोमेसी" अब भारत के नीति निर्धारकों के लिए एक कड़ी परीक्षा बन चुकी है। मोदी सरकार इस वक्त अमेरिका, यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड और ओमान सहित कई देशों से व्यापार समझौते को लेकर बातचीत कर रही है, परंतु ट्रंप की समयसीमा और सख्त रुख ने भारत की कूटनीति को असहज स्थिति में डाल दिया है।
राहुल गांधी का बयान इस बहस को घरेलू राजनीतिक रंग दे रहा है, लेकिन असल चुनौती यह है कि भारत कैसे अपनी शर्तों पर वैश्विक व्यापार संतुलन बनाए।
