जबलपुर। अवैध कारोबार पर ‘मौन तंत्र’ का पहरा
जबलपुर की सड़कों पर आज जनता का गुस्सा फूट पड़ा। एसपी ऑफिस का घेराव हुआ, नारे लगे और मांग वही— “अवैध कारोबार बंद करो, अपराधियों पर कार्रवाई करो।” लेकिन यहाँ सवाल उठता है कि जिन कारोबारियों के पास कानून की धज्जियाँ उड़ाने का साहस है, उनके पीछे आखिर कौन-सी ताक़त खड़ी है?
अवैध शराब बिक रही है, सट्टे के अड्डे चल रहे हैं, जुए की गोटियाँ खनक रही हैं। सबको पता है कहाँ और किसके संरक्षण में। पुलिस को भी पता है, नेताओं को भी पता है, और जनता को भी पता है। फर्क सिर्फ इतना है कि जनता परेशान है, पुलिस चुप है और नेता व्यस्त हैं— चुनावी भाषणों में।
प्रदर्शनकारियों की बात कड़वी लेकिन सच है— कार्रवाई सिर्फ कागज़ पर होती है। कभी एक-दो लोगों को पकड़कर फोटो खिंचवा दी, खबर छपवा दी, और फिर वही पुराना खेल…। जनता पूछ रही है— “क्या कानून सिर्फ कमजोरों पर लागू होता है?”
अगर अपराधी ही ताक़तवर हैं और पुलिस ही मौन है, तो जनता और कहाँ जाएगी? यही कारण है कि लोग अब एसपी ऑफिस तक आ गए। यह चेतावनी है— अगर तंत्र सोता रहा तो गुस्सा और उग्र होगा।
अब असली सवाल यही है कि प्रशासन अपराधियों पर कार्रवाई करेगा या फिर जनता को सड़कों पर उतरकर हर बार “न्याय” की भीख माँगनी पड़ेगी?
