“वाहन चोरों का गिरोह ध्वस्त: तीन राज्यों में आतंक फैलाने वाले गैंगस्टर समेत 3 गिरफ्तार”

 वाहन चोरों का ऐसा गिरोह जो GPS से भी तेज निकला!

हापुड़ जनपद में पुलिस ने रविवार रात उस गिरोह का पर्दाफाश कर दिया, जो पिछले कई वर्षों से तीन राज्यों — उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली — में वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दे रहा था। खास बात ये है कि इस गिरोह के सदस्यों में एक गैंगस्टर, एक इनामी अपराधी और एक कुख्यात वाहन तस्कर शामिल है। उनके पास से चोरी की लग्जरी गाड़ियाँ, हथियार, फर्जी नंबर प्लेटें और हाईटेक उपकरण बरामद हुए हैं।

कहां और कैसे पकड़े गए? पुलिस की रणनीति से ही टूटा शातिर गिरोह का गुरूर

शनिवार देर रात थाना पिलखुवा पुलिस और स्वाट टीम ने संयुक्त अभियान चलाया। डूहरी पेट्रोल पंप के पास मुखबिर से सूचना मिली कि एक सफेद रंग की संदिग्ध कार में अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के सदस्य आ रहे हैं। इसके बाद पुलिस और स्वाट टीम ने जबरदस्त घेराबंदी की और जैसे ही संदिग्ध कार मौके पर पहुंची, उसे रुकने का इशारा किया गया।

आरोपियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही सेकेंड में पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। इस कार्रवाई ने क्षेत्र में वाहनों की चोरी से परेशान लोगों को बड़ी राहत दी है।

गिरफ्तार अपराधियों की प्रोफाइल: अपराध की दुनिया के तीन चहरे

  1. अजय तोमर – बागपत का रहने वाला और गिरोह का मास्टरमाइंड। इस पर अकेले 25 मुकदमे दर्ज हैं।

  2. इरफान – मेरठ निवासी, गैंगस्टर एक्ट में वांछित और ₹5,000 का इनामी बदमाश। 9 संगीन मुकदमों में नाम शामिल।

  3. प्रशांत उर्फ गुड्डू – मेरठ के ही सदर बाजार से, चार बड़े मामलों में नाम। तकनीकी उपकरणों से लॉक तोड़ने में माहिर।


बरामदगी की सूची: अपराध का हाईटेक चेहरा

  • चोरी की 3 लग्जरी कारें

  • 5 जोड़ी फर्जी नंबर प्लेटें

  • 2 देशी तमंचे व 2 जिंदा कारतूस

  • वाहन चोरी में प्रयुक्त उपकरण — वायर कटर, लॉक ओपनर, स्कैनर

गिरोह की कार्यप्रणाली: हर रात होती थी ‘रेकी’, हर सुबह गायब होती थी कार

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरोह के सदस्य पहले दिनभर में टारगेट तय करते थे — गली, मोहल्ला या पार्किंग क्षेत्र। रात को वो अपनी सफेद कार में निकलते, नंबर प्लेट बदलते और खास उपकरणों से चंद सेकंड में गाड़ी गायब कर देते।

इसके बाद नंबर प्लेट बदलकर या इंजन-चेसिस नंबर घिसकर, कारों को कबाड़ियों के जरिये या भोले-भाले ग्राहकों को सस्ते में बेच दिया जाता था।

पुलिस के सामने नए सवाल: कौन दे रहा था इन चोरों को 'सिस्टम की जानकारी'?

पूरे प्रकरण में यह सवाल अब भी कायम है कि चोरी के वाहनों को ट्रेस न किए जाने की तकनीक, नंबर प्लेट की फर्जी तैयारी और वाहन स्कैनिंग जैसे काम कोई आम अपराधी अकेले नहीं कर सकता। कहीं न कहीं इसमें टेक्निकल सपोर्ट या लोकल स्तर पर मिलीभगत की भी आशंका है। पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े नेटवर्क का डिजिटल विश्लेषण भी शुरू कर चुकी है।

एसपी का बयान: “हम इस गिरोह की जड़ों तक जाएंगे”

हापुड़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ज्ञानंजय सिंह ने कहा,

“हमने गिरोह का एक बड़ा हिस्सा पकड़ लिया है। लेकिन अभी इस चेन के कई कड़ियाँ बाकी हैं। टेक्निकल सर्विलांस और इंटरस्टेट पुलिस कोऑर्डिनेशन के ज़रिए जल्द ही पूरे नेटवर्क को तोड़ा जाएगा।”

पिछले एक साल में हुई वाहन चोरी की घटनाएं

जिलाचोरी की गाड़ियांमुकदमे दर्जसंदिग्ध गिरोह से लिंक
गाजियाबाद6249हाँ
मेरठ4841हाँ
बागपत3529हाँ
दिल्ली NCR11288हाँ
हरिद्वार1510हाँ


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