कभी वह एक गर्व का क्षण था पाकिस्तान के लिए — जब मेजर मोइज अब्बास शाह ने भारतीय पायलट अभिनंदन को हिरासत में लिया था। टीवी पर उसकी तस्वीरें छाई रहीं। तालियां बजीं। नारे लगे।
मगर आज वही अफसर आतंक की भेंट चढ़ गया।
वह आतंक, जिसे कभी हथियार बनाकर पड़ोसियों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया — अब उसी के अपनों को निगल रहा है।
दक्षिण वजीरिस्तान में हुआ यह हमला केवल एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि उस आत्मघाती नीति का दर्पण है जिसमें देश अपनी ही नसों को काट रहा है।
यह महज एक मौत नहीं, बल्कि चेतावनी है — राज्य अगर आतंक से ‘राजनीति’ करता है, तो अंततः वह अपने ही सपूतों को खोता है।
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